मेरे अनुसार भारत में प्रशांत किशोर को वह हर व्यक्ति जानता है जो अपने आप को भारतीय राजनीति से जुड़ा समझता है. वो एक राजनीतिक सलाहकार है.
पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान P.K. ने घोषणा की कि वह राजनीतिक सलाहकार के रूप में इस चुनाव के बाद काम नहीं करेंगे. P.K. की गांधी परिवार से मीटिंग के बाद से सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई. मीटिंग में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी मौजुद थे और सोनिया गांधी वीडियो कॉन्फ्रेंस से जुड़ी.
P.K. का कद भारतीय राजनीति में काफी मायने रखता है.2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी की बड़ी जीत के पीछे एक कारण P.K. की रणनीतियों को भी माना जाता है.
बंगाल चुनाव में बीजेपी को हराने और दीदी को फिर से सता में लाने के पीछे P.K.की नीतियों ने काफी अहम भूमिका निभाई और उसके बाद से P.K. का कद भारतीय राजनीति में काफी बढ़ गया.
हालांकि 2017 के U.P. चुनाव में P.K. ने राहुल गांधी और अखिलेश के साथ भी काम किया लेकिन उस चुनाव में P.K. का जादू नहीं चल सका और भाजपा ने जोरदार जीत हासिल की थी। जादू नहीं चलने के पीछे कारण बताएं जाते हैं कि उस समय कांग्रेस और सपा के गठबंधन में तालमेल सही नहीं था जिससे रणनीतियों को सही ढंग से अमल में नहीं लाया जा सका।
गांधी परिवार से मुलाकात के कारण अब P.K. एक बार फिर से चर्चा में हैं क्योंकि माना जा रहा की 2024 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए ये मीटिंग की गई है।
कई राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि 2024 के आम चुनाव में P.K. कांग्रेस के लिए राजनीतिक सलाहकार की भूमिका निभा सकते हैं या वह कांग्रेस में ही शामिल हो सकते हैं। अगर P.K. कांग्रेस में शामिल होते हैं तो उनकी वो बात भी कायम रहेगी जिसमें उन्होंने कहा था कि वो राजनितिक सलाहकार के रूप में काम नहीं करेंगे। उनके कांग्रेस में शामिल होने से पार्टी में भी ऊर्जा का संचार होगा।
यह भी कहा जा रहा की P.K. अभी से ही विपक्ष को बीजेपी के खिलाफ़ एक जुट करने में लगे हैं इस पर मुहर तभी लग गई जब P.K. ने NCP चीफ शरद पवार से मुलाकात की। सूत्र बताते हैं कि शरद पवार को 2024 में विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति पद का चेहरा बनाया जा सकता है. इस से शरद पवार के प्रधानमंत्री बनने के सपने को भी ठेस लगी होगी।
P.K. ने यह बात मानी की बिना कांग्रेस जैसी पार्टी के देश में मजबूत विपक्ष संभव नहीं है. लेकिन P.K. यह बात भली भांति जानते हैं की भारत के विपक्ष को एकजुट करना टेडी खीर के समान हैं.
शायद प्रशांत किशोर ने केजरीवाल के साथ भी काम किया है। हो सकता 2024 में मजबूत विपक्ष देखने को मिल जाए।
जवाब देंहटाएंएक ऐसी पार्टी जिसने लोगो के बीच अपने अच्छे खासे जनाधार को खोया है उस पार्टी के लिए प्रशांत किशोर से उम्मीद रखना सही है क्या?
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